संदेश

जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ikta pratha in hindi इक्ता व्यवस्था

इक्ता व्यवस्था , इक्ता एक अरबी शब्द है, जिसका संबंध कृषि व्यवस्था से है। इक्ता भूमि, सैनिकों को वेतन के बदले आवंटित की जाती थी। इस व्यवस्था का शुरुआत मोहम्मद गोरी ने किया लेकिन इसका प्रभावी संस्थागत रूप से इल्तुतमिश ने अपनाया। इस व्यवस्था से कुलीन और अमीर वर्गों को आय प्राप्त होती थी।  इक्ता दो प्रकार की होती थी प्रथम इक्तेदार , इन इक्तेदार को जमीन का टुकड़ा उसकी सेवा के बदले दिया जाता था। दूसरे बड़े इक्तेदार   होते थे, यह उच्च कर्मचारियों को प्राप्त होता था इनको प्रशासनिक दायित्व भी होते थे तथा यह अपने क्षेत्र में शांति एवं व्यवस्था को बनाए रखते थे। इक्ता व्यवस्था के उद्देश्य सामंत शासन को समाप्त करना भूमि कर आसानी से एकत्र या वसूल करना राजस्व का एकत्रीकरण करना दूरस्थ क्षेत्रों पर नियंत्रण करना

doctrine of waiver in hindi अधित्याग का सिद्धांत क्या हैं

अधित्याग का सिद्धांत क्या हैं इस सिद्धांत के अनुसार भारत के उच्चतम न्यायालय ने कहा है, कि ज्यादातर लोग संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों जैसे मूल अधिकारों से परिचित या उनकी जानकारी व समझ नहीं हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति संविधान द्वारा दिए गए मूल अधिकारों को स्वेछा से परित्याग नहीं कर सकता क्योंकि अन्य व्यक्ति इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं इसी सिद्धांत को डॉक्टरिन ऑफ वेवर कहते हैं।

Doctrine of severability in hindi पृथक्कीकरण का सिद्धांत

पृथक्कीकरण का सिद्धांत का प्रावधान संविधान में वर्णित अनुच्छेद 13(2) में हैं। अगर किसी भी अधिनियम का कोई भी भाग जो असंवैधानिक हैं  तो विधानमंडल केवल उस भाग को अलग करके जो मूल अधिकारों से संगत या अनुकूल नहीं हैं उसे शून्य कर दिया जायेगा न की पूरे अधिनियम को। इसी विषय को 13(2) में "उस मात्रा तक" लिखकर स्पष्ट किया गया हैं।

Doctrine of eclipse in hindi अनाच्छादन का सिद्धांत क्या ?

अनाच्छादन का सिद्धांत क्या हैं। अनाच्छादन का सिद्धांत के आधार का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 13 में है। संविधान के अनुच्छेद 13(1) इसमें कहा गया है, कि संविधान बनने के पूर्व बनाई गई विधियां अगर मूल अधिकारों से संगत नहीं हैं, तो वह समाप्त नहीं होती उन पर मूल अधिकारों का चन्द्र ग्रहण के समान ग्रहण लग जाता है, और वह विधि ढक जाती है। इसे अनाच्छदन का सिद्धांत / डॉक्टिन ऑफ इक्लिप्स कहते हैं।

तुर्कान ए चहलगानी

तुर्कान ए चहलगामी यह 40 विश्वसनीय सरदारों का संगठित संगठन था जिसकी स्थापना इल्तुतमिश ने की।  इन पदों पर उच्च विश्वसनीय सरदार नियुक्त होते थे, जो कि सुल्तान के कार्यों में सलाहकारी या परामर्शी कार्य करते थे। हालांकि अंतिम निर्णय सुल्तान का होता था। उद्देश्य -   विरोधी अमीरो की शक्तियों को नष्ट करना। दिल्ली सल्तनत पर प्रभावी शासन स्थापित करना।  सल्तनत का विस्तार करना।