Mahavir Jain महावीर जैन,केवल्य ,जिन ,जैन संगीतियां,जैन धर्म के सिद्धांत,पंच महाव्रत
महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व वैशाली के निकट कुंडल गांव आज के मुजफ्फरपुर बिहार में हुआ था पिता का नाम सिद्धार्थ जोकि ज्ञात्रक क्षत्रिय संघ के प्रधान थे इनकी माता का नाम त्रिशला जो वैशाली के लिच्छवी कुल के प्रमुख चेटक की बहने थी इनके बचपन का नाम बर्द्धमान था इनका विवाह कुंडीय गोत्र की यशोदा से हुआ और उनसे एक पुत्री अनुजा का जन्म हुआ जिसका विवाह जमाली के साथ संपन्न किया गया
*12 वर्ष की कठोर तपस्या के पश्चात वर्धमान को 42 वर्ष की अवस्था में जुंबीका ग्राम के रिजुपालिका नदी के तट के निकट के केवल्य की प्राप्ति हुई जिसके पश्चात वर्धमान केवलिन्य या जिन कहलाए अंततः 72 वर्ष की अवस्था में 527 ईसा पूर्व पावापुरी मैं इनकी मृत्यु हुई
कुछ महत्वपूर्ण शब्द
जिन - मतलब विजेता जिसको इंद्रियों पर विजय प्राप्त की या नियंत्रण हो
केवल्य - जैन धर्म में इसका अर्थ ज्ञान प्राप्त करना
* जैन धर्म
जैन धर्म की स्थापना निर ग्रंथ रूप से प्रथम तीर्थकार ऋषभदेव द्वारा की गई और जैन धर्म में अभी तक कुल 24 तीर्थकार हुए हैं ऋग्वेद से ऋषभदेव एवं अरिष्ठनेमी की जानकारी प्राप्त होती है जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ और 24 वे तीर्थंकर महावीर जैन हुए
* जैन संघ
जैन धर्म के प्रचार के लिए महावीर में एक संघ की स्थापना की जिसे जनसंघ कहा जाता है तथा महावीर की मृत्यु के बाद इस संघ का अध्यक्ष सुधर्मन्न को चुना गया
जैन संगीतियां
जैन धर्म की प्रथम संगीति पाटलिपुत्र मैं 300 ईसा पूर्व स्थूलभद्र की अध्यक्षता में हुई
जैन धर्म की द्वितीय संगीति बल्लवी में 521 ईसा पूर्व देवधी द्वारा की गई
जैन धर्म के सिद्धांत
अनुशीलन के आधार पर तिरत्न है
1 सम्यक दर्शन -जैन तीर्थ कारों और उनके उपदेशों मैं दृढ़ विश्वास को ही सम्यक दर्शन या श्रद्धा कहा गया ह
2 सम्यक ज्ञान- जैन धर्म एवं उसके सिद्धांत का ही ज्ञान सम्यक ज्ञान है
3 सम्यक चरित्र-यह जैन साधना का सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि जैन धर्म की आधारशिला आचरण एवं व्यवहार पर टिकी हुई है जिसे ही सम्यक चरित्र कहा गया है
पंच महाव्रत
सत्य अहिंसा अस्तेय अपरिग्रह ब्रह्म चर इन पांचों को ही पंच महाव्रत कहा गया है तथा जिनमें से प्रथम चार महाव्रत पहले से तीर्थ कारों द्वारा दिए गए और पांचवे महाव्रत ब्रह्मचर्य को महावीर स्वामी ने दिया
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