What is virus विषाणु क्या है और इसकी संपूर्ण जानकारी
वायरस क्या है ?
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Virus |
वायरस शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द विओस vios से हुई है जिसका अर्थ होता है विषैला द्रव या पॉयजंस फूड अतः इसका तात्पर्य विष या विषाणु से है
अगर हम सामान्य अर्थों में जाने वायरस एक ऐसे जीव हैं जो मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं तथा यह स्वतंत्र रूप शरीर के बाहर मृत्य रूप में पाए जाते हैं जबकि यह शरीर में प्रवेश करते प्रवेश करते ही खुद को मल्टीप्लाई करने लगते हैं और बीमारी या रोग उत्पन्न करते हैं
अगर हम वायरस का इतिहास जाने तो उस सर्वप्रथम एडोल्फ मेयर ने 1886 में संक्रामक के बारे में बताया था
और उस समय कोई इनको वायरस के नाम से नहीं जानता था लेकिन एक रूसी वैज्ञानिक डी इवानोवस्की ने 1892 मैं सर्वप्रथम पादपों में वायरल रोग की खोज की जिसे तमाकू में मोसियाक रोग के नाम से जाना जाता है इसी कारण इन्हें विषाणु की खोज का श्रेय प्राप्त हुआ
इसके बाद अनेक सूक्ष्म वैज्ञानिकों द्वारा विषाणु की भौतिक एवं रासायनिक संरचना के बारे में जानकारी दी इसी क्रम में वैज्ञानिक एस स्लैनज़र ने 1993 में सर्वप्रथम सेंट्रीफ्यूज तकनीक का उपयोग कर विषाणु को शुद्ध करने का तरीका ज्ञात कर लिया
इसके उपरांत स्टैनली ने 1935 ने प्रोटीन का अवक्षेपण वाले पदार्थ का उपयोग करके तंबाखू मोजेक वायरस टी .एम. वी. का क्रिस्टलीकरण करने का तरीका प्राप्त किया जिसके लिए उन्हें नोबेल भी दिया गया
जैसे-जैसे विज्ञान का विकास होता गया 1940 तक विभिन्न प्रकार के विषाणु की खोज कर ली गई तथा इन वायरस की आकृति एवं संरचना पूर्णतया भिन्न भिन्न थी
वैज्ञानिकों द्वारा दी गई परिभाषाएं
बैडन के अनुसार 200mm से कम आकार वाले रोगजनक परजीवी को वायरस कहा जाता है
अन्य शब्दों में देखें तो वायरस अंतरा कोसिक यानी इंटरासेल्यूलर एवं रोगजनक होते हैं जो कि एक ही प्रकार के डीएनए अथवा आर एन ए से मिलकर बने होते हैं तथा इनमें विखंडन की विशिष्ट क्षमता होती है विषाणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं तथा इन्हें हम केवल माइक्रोस्कोप के जरिए देख सकते हैं
विषाणु के विभिन्न विशेषताएं या लक्षण
1 वायरसों को सजीव नहीं माना गया है क्योंकि यह कोशिकीय नहीं होते अर्थात यह अंतरा कोशिकीय होते हैं मृत एवं सजीव के बीच लिंक का माध्यम प्रदान करते हैं
2 इनमें जीवन को प्रदर्शित करने वाली आधारभूत लक्षण नहीं होते है
3 इन वायरस का आकार 100 से 200 मिली माइक्रोन का होता है
4 विषाणु का बाहर का खोल यानी आउटर कैप्सिड प्रोटीन का बना होता है
5 यह परपोषी विशिष्टता यानी host specificity प्रदर्शित करते है
6 एक वायरस के एक कण को virion कहा जाता है एवं इनमें कार्यशील स्वायत्तता यानी फंग्शनल ऑटोनॉमी का अभाव होता है
7 वायरसों में स्वयं का संपूर्ण एंजाइम प्रणाली यानी एंजाइम सिस्टम नहीं होता लेकिन यह परपोषी कि अंजाम प्रणाली में अंतर क्रिया करके नए पदार्थों का निर्माण करते हैं
8 यह प्रति जनक यानी एंटीजनिक गुणों को दर्शाते हैं किंतु इन पर प्रतिजैविक एंटीबॉडी का कोई प्रभाव नहीं होता है अधिकांश वायरस 5 से 9 डिग्री तापमान के बीच ही जीवन क्षमता को प्रदर्शित करते हैं
9 पराबैगनी प्रकाश अल्ट्रावॉयलेट रेज और यूरिया एवं हाइड्रोजन परा ऑक्साइड h202 के उपचार द्वारा अधिकांश वायरस निष्क्रिय किए जा सकते हैं
10 वायरस प्रकृति की विचित्र संरचना है विभिन्न अत्यंत सूक्ष्म दृष्टिकोण होने के कारण इनकी प्रकृति हमेशा विवादित रही है इनमें कुछ लक्षण सजीवों तथा कुछ निर्जीव पदार्थों के पाए जाते हैं क्योंकि वायरस हमें स्वयं के स्तर पर स्वतंत्र रूप से वृद्धि करने की क्षमता नहीं होती अतः इनको सजीव इकाई यानी लिविंग थिंग्स के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है यह कोशिश किए कल है जो परपोषी कुछ कोशिकाओं का प्रयोग स्वयं की जन्म के लिए करते हैं और विकसित होते जाते हैं
वायरस का वर्गीकरण
सूक्ष्मजीव वैज्ञानिकों द्वारा वायरस के बारे में विभिन्न में जानकारी प्राप्त की तथा इनको सजीव जगत में स्पष्ट नहीं किया प्रारंभिक तौर पर पहले वायरसों को बांटा गया जिनमें
पादप वायरस - इस प्रकार के वायरस मुख्यतः पौधों को संक्रमित करते हैं पादपों में इस प्रकार का संक्रमण मुख्यतः चबाने वाले कीट पतंगों अफिड बीटल और whiteflies द्वारा होता है
invertebrates वायरस - यह यह वायरस आर्थोपोडा समूह की जीवो को संक्रमित करते हैं
वर्टिवेट बायरस - यह अंतः कोशिकीय परजीवी हैं जो कशेरुकी समूह को प्रभावित या संक्रमित करते हैं
Dual host virus -ऐसे परजीवी वायरस जो दो परपोषी के रूप में पाए जाते हैं जैसे आर्थोपोडा पादप वायरस
Corona virus covid19 |
विषाणु से फैलने वाला संक्रमण
देखा जाए तो मानव एवं पादपों में विभिन्न प्रकार के रोग विषाणु से फैलते हैं कई संक्रमण में यह पता नहीं चल पाता कि वह संक्रमण जीवाणु से हुआ है तो उन्हें संभवत ही वायरस या विषाणु मान लिया जाता है
मानव शरीर में वायरस विभिन्न प्रकार से अंदर आ सकते हैं जिनमें अंतः स्वसन जिस जैसे मीजल्स एवं इनफ्लुएंजा और सरोपण द्वारा हेपेटाइटिस बी नामक रोग होते है इनके अलावा अन्य रोग जैसे चिकन पॉक्स एचआईवी ऐड्स पोलियो इत्यादि रोग वायरस से जन्म लेते हैं
हम सामान्य रूप से घर से बाहर एवं घर में रहकर विभिन्न प्रकार की जीवाणु विषाणु इत्यादि से संपर्क में आते हैं जो वातावरण में पाए जाते हैं कुछ संक्रमण ऐसे होते हैं जो संक्रमण विषाणु के अलावा उत्तरदाई होते हैं इन नए प्रकार के गुणों से युक्त होने वाले रोग पाए जाते है ब्रिटिश वैज्ञानिक हेग और क्लास्के ने 1966 में नई प्रकार की सब वायरल रोग का अध्ययन किया
prions में स्वयं का डीएनए एवं r.n.a. नहीं होता तथा ई दो या तीन प्रकार के प्रोटीन अणुओं से मिलकर बने होते हैं जो संक्रमित करते हैं लगभग 1000 प्रियोंस अणुओं को मिलकर एक जटिल संरचना बनती है जिसे prions rod कहा जाता है ऐसा समझा जाता है कि यह bovine spongiform encephalopathy मैड काऊ डिसीज इन्हीं के कारण होता है
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