प्रकृतिवाद का अर्थ,प्रकृतिवाद और प्रकृतिवाद के सिद्धांत,शिक्षा में प्रकृतिवाद ,प्रकृतिवाद के मुख्य सिद्धांत
प्रकृतिवाद क्या है?
- यह एक भौतिकवादी दर्शन है। जो इस सृष्टि की रचना के लिए प्रकृति को ही उत्तरदाई मानता है।
- प्रकृति की व्याख्या सामान्यता दो रूपों में की जाती हैं
प्रकृतिवाद के रूप
- प्रथम सामान्य अर्थ में जिसमें प्रकृति से तात्पर्य स्वाभाविक रूप से विकसित होने वाली रचना से किया जाता है। अतः इस ब्रह्मांड के सभी तत्व जिनकी रचना में मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता प्रकृति कहलाते हैं,
- दूसरे दार्शनिक दृष्टि से प्रकृति से तात्पर्य जो कि निश्चित नियम के अनुसार क्रियाशील है। प्रकृतिवाद भी प्रकृति को इस दूसरे अर्थ के रूप में मानता है।
- प्रकृतिवाद और शिक्षा यह दर्शन का वह संप्रदाय है जो प्रकृति को सर्वोच्च सत्ता मानता है तथा प्रकृति के अनुसार शिक्षा प्राप्ति पर बल देता है।
- शिक्षा में प्रकृतिवाद का अर्थ ऐसी शिक्षा व्यवस्था से है जिससे बच्चों यानी बालक अपनी प्रवृत्ति के अनुसार विकसित होते हैं।
प्रकृतिवाद का अर्थ
- प्रकृतिवाद को भौतिकवाद व पदार्थ वाद भी कहा जाता है इस दर्शन के अनुसार प्रकृति ही संसार का आधार है।
- प्रकृतिवाद दर्शन पदार्थ मन तथा जीवन की व्यवस्था भौतिक एवं रासायनिक नियमों के द्वारा करके प्राकृतिक रूप से शिक्षा पर बल देता है।
- शिक्षा जगत में प्रकृतिवाद विचारधारा दो पक्षों में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
- प्रथम दर्शन के रूप में जिसमें शिक्षा के लक्ष्य को निर्धारित करने की प्रक्रिया का प्रभाव हो अथवा दूसरा मानव प्रकृति की व्याख्या के आधार पर जिससे नवीन शिक्षा पद्धतियां व शिक्षा के साधनों की व्याख्या का मार्ग प्रस्तुत किया जा सके।
- जहां कहीं शिक्षा की प्रक्रिया रूढ़ियों के बोझ से दब जाती है। वहां कठोर अनुशासन विद्यालय के नियम, सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम,अध्यापक का औपचारिक व्यवहार आदि के बोझ से जब बालकों को यह आत्मानुभूति हो जाती है।
- तो वहां प्रकृतिवाद के रूप में प्रक्रिया उत्पन्न होती है। प्रकृतिवाद के प्रमुख समर्थकों में रूसो, फ्रोबेल, टी पी एन एन, स्पेंसर आदि है। इन्होंने शिक्षा का आधार प्रकृति को माना है
- बालक प्रकृति के द्वारा जो कुछ भी अनुभव करता है या सीखता है वह सब इसके अंतर्गत आता है।
प्रकृतिवाद की परिभाषा-
- थामस के अनुसार प्रकृतिवाद आदर्शवाद के विपरीत मन को पदार्थ के अधीन मानता है और यह विश्वास करता है कि अंतिम वास्तविकता भौतिक है आध्यात्मिक नहीं।
प्रकृतिवाद के सिद्धांत
- प्रकृति ही प्रधान है वही जगत का कर्ता और कारण है। आत्मा और परमात्मा एकमात्र कोरी कल्पना है। भौतिक जगत ही सत्य है।
- मानव संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना है मानव विकास में प्राकृतिक कम है। प्रकृतिवाद मानव जीवन का उद्देश्य भौतिक सुख की प्राप्ति है।
- जटिल शब्द जीवन से परे प्राकृतिक जीवन ही उत्तम है।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोपरि है।
शिक्षा में प्रकृतिवाद
- बेकन और ममेनियस प्रथम शिक्षा शास्त्री थे। जिन्होंने शिक्षा में प्रकृतिवाद प्रारंभ किया, इसके बाद रूसौ ने इस आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की।
- प्रकृतिवाद में शिक्षा का प्रभावशाली हाथ रहा है रॉस का कहना है कि प्रकृतिवाद ने उन सिद्धांतों को अपनाया है जो दर्शन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयत्न करते हैं।
- इस प्रकार के दर्शन को मानने वाले विद्वान इस विचारधारा को अपनाते हैं कि सारे संसार में केवल प्रकृति ही सत्य है।
- प्रकृति वादी मानव जीवन के अनुभव,एकता ,मानवता, आध्यात्मिकता आदि की परख उसकी प्रकृति के आधार पर ही करते हैं।
- प्रकृतिवाद के अनुसार बालकों के विकास में प्राकृतिक शक्तियां बालकों में ही समाहित है और यह शक्तियां प्राकृतिक नियमों के अनुसार निश्चित क्रम में ही विकसित होती हैं।
- शिक्षक का कार्य विकास की प्राकृतिक नियमों के अनुसार उनका मार्गदर्शन एवं निर्देशन करना है। प्रकृतिवाद का यह दृढ़ मत है कि बालक स्वभाव से ही अच्छा होता है और तब तक अच्छा रहेगा जब तक कि उसे प्राकृतिक नियमों के अनुसार जीवन बिताने की सुविधा प्राप्त रहेगी।
- प्राकृतिक अवस्था में किसी तरह का व्यवधान या परिवर्तन करने से बालक का विकास ठीक से नहीं हो पाता इसलिए प्रकृति वादियों का कथन है कि बालक को उसकी प्रकृति के अनुसार शिक्षा दी जाए। पाठ्य पुस्तकें,समय, सारणी पाठ्यक्रम, अध्यापन उतनी ही महत्वपूर्ण नहीं जितने की विद्यार्थी प्रकृतिवाद के समर्थक हैं।
- बालक की प्रकृति को समझकर प्राकृतिक वातावरण के अनुसार ही शिक्षा दी जाए। प्रकृति वादियों का मूल मंत्र है प्रकृति की अनुभूति करना और अनुगमन करना। जिसमें रूसो, लैमार्क, हरबर्ट, स्पेंसर पेस्टोलॉजी, फ्रोबेल आदि विचारक प्रकृतिवाद के समर्थक थे जिन्होंने प्रकृतिवादी विचारधारा को शिक्षा जगत में आगे बढ़ाया।
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