वायुमंडलीय दाब और वायुमंडल को प्रभावित करने वाले कारक

वायुमंडलीय दाब और इसे प्रभावित करने वाले कारक

 हम इस आर्टिकल में वायुमंडल के प्रमुख चार तत्वों के बारे में अध्ययन करेंगे। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो वर्षा और तापमान जलवायु के प्रमुख दो तत्व है किंतु वायुदाब परोक्ष रूप से तापमान, वर्षा और पवन को प्रभावित करता है। पवन का जन्म वायुदाब के अंतर से ही हो पाता है। वायु का घनत्व, उसके तापमान और दाब पर निर्भर रहता है। सूर्यताप का असमान वितरण के कारण विभिन्न कटिबंधों मैं अलग-अलग वायुदाब उत्पन्न होता है।

वायुमंडलीय दाब 

वायु में भार होता है और इसलिए यह दबाव डालती हैं जैसा कि हम जानते हैं। पृथ्वी के चारों ओर फैला वायुमंडल कई प्रकार की गैसों के मिश्रण से बना है और हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है।धरातल या समुद्र तल पर प्रति वर्ग इकाई का क्षेत्रफल पर इसके ऊपर स्थित वायुमंडल के स्तंभ (सभी परतो पर) के भार (दबाव) को वायुदाब कहते हैं। वायु को हम प्रत्यक्ष रूप से देख या महसूस नहीं कर पाते लेकिन यह मौसम के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है पवन, ऊष्मा और आद्रता को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में वायुदाब सहायक होती है। तथा पवन का जन्म वायुदाब के अंतर से ही होता है। तापमान में अंतर से हवा के घनत्व में परिवर्तन आता है जिसके कारण वायुदाब में क्षेतिज गति उत्पन्न होती है जिससे वायु का निर्माण होता है। वायुदाब को मापने के लिए बैरोमीटर का उपयोग किया जाता है इसे मापने की आधुनिक इकाई मिली बार है


वायुमंडल को प्रभावित करने वाले कारक

पृथ्वी पर वायुदाब सभी जगह एक समान नहीं होता । यह समय और क्षेत्र, ताप के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
  तापमान    
           ऊंचाई।    
                   पृथ्वी की घूर्णन गति।     
                            वायुमंडलीय दाब का वितरण।

वायुदाब पर तापमान का प्रभाव- हमने पढ़ा है कि जब वायु का तापमान बढ़ता है तो वायुदाब में कमी आ जाती है क्योंकि जब हवा गर्म होती है तो यह फैलती है और हवा के कण दूर-दूर होने लगते हैं। जिससे उत्पन्न दबाव अधिक क्षेत्र में विभाजित हो जाता है। जबकि वायु का तापमान घटता है तो इस के दबाव में वृद्धि होती है क्योंकि जब हवा ठंडी होती है तो यह सिकुड़ती है और सघनता के कारण कण आपस में पास पास आ जाते हैं जिससे कणों मैं टकराव होने लगता है और उसमें ऊष्मा पैदा करते हैं फल स्वरुप नीचे उतरती हुई हवा के दबाव में वृद्धि के साथ उसके तापमान में वृद्धि हो जाती है।
यदि केवल तापमान ही वायुदाब को प्राप्त करता तो विषुवत रेखा पर सबसे कम वायुदाब होता जबकि धुव़ो में सर्वाधिक वायुदाब होता, जो वास्तव में नहीं है जिसका कारण तापमान के साथ ऊंचाई और पृथ्वी की घूर्णन गति भी वायुदाब को प्रभावित करती है।
वायुदाब पर ऊंचाई का प्रभाव -पृथ्वी तल से ऊंचाई बढ़ने के साथ वायुदाब में कमी आती है यही कारण है कि समुद्र तल पर अधिक वायुदाब होता है जबकि किसी पर्वत चोटी पर कम वायुदाब होता है।
 वायुदाब पर पृथ्वी के घूर्णन गति का प्रभाव-यदि पृथ्वी की घूर्णन गति का प्रभाव देखा जाए तो दरवा पर सापेक्ष बल सर्वाधिक होने के कारण हवाएं दोनों पोल से विषुवत रेखा की ओर विक्षेपण होती रहती हैं जिसके परिणाम स्वरूप उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव पर निम्न दाब तथा विषुवत रेखा पर उच्च दाब की स्थिति बनी रहती है किंतु वास्तविक स्थिति इसके विपरीत है क्योंकि पृथ्वी की घूर्णन गति के अतिरिक्त तापमान भी वायुदाब को बहुत अधिक प्रभावित करता है।पृथ्वी पर वायुदाब की वास्तविक स्थिति को समझने के लिए तापमान तथा पृथ्वी की घूर्णन गति दोनों ही के प्रभाव का अध्ययन आवश्यक है। दोनों पोल यानी उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव पर बेहद ही कम तापमान के कारण हवा से सिकुड़ जाती है तथा जिससे घनत्व वृद्धि हो जाती है और वहां पर वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है। भूमध्य रेखा क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी के कारण हवा फैलती है जिससे उसके घनत्व में कमी आती है तथा अपने स्थान पर से ऊपर की ओर पलायन करने लगती है जिससे वहां निम्न दाब की स्थिति उत्पन्न होती है।  विषुवतीय और ध़ुवीय क्षेत्रों के बीच उपोष्ण उच्च वायुदाब और उपधु़वीय निम्न वायुदाब के दो कटिबंध है जिनका निर्माण तापमान के कारण नहीं हुआ है बल्कि पृथ्वी की घूर्णन गति से हुआ है।

वायुमंडलीय दाब का वितरण 

पृथ्वी की सतह समान नहीं है कहीं सागर है ,तो कहीं खाई है कहीं घाटी हैं कहीं पर्वत है कहीं पठार हैं कहीं नदियां हैं । इसी असमानता के कारण धरातल पर वायुमंडलीय दाब का वितरण असमान है तथा इस असमानता का अध्यन हम दो तरीके से कर सकते हैं पहला वायुदाब का ऊर्ध्वाधर वितरण दूसरा वायुमंडल का क्षैतिज वितरण।
वायुदाब का ऊर्ध्वाधर वितरण : ऊंचाई के साथ हमेशा हवा में दाब घटता है। लेकिन इसके घटने की दर हमेशा समान नहीं होती है। क्योंकि वायुदाब हवा के घनत्व ,जलवाष्प की मात्रा, गुरुत्वाकर्षण बल और तापमान आदि से प्रभावित होता है यह सभी तत्व मिलकर वायु के लंबवत भार का निर्धारण करते हैं
वायुदाब का क्षेतिज वितरण- पृथ्वी पर विषुवत रेखा से दोनों ध्रुव की ओर वायुमंडलीय दाब के अक्षांशीय वितरण को क्षेतिज वितरण कहते हैं।





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