Renaissance in Italy, what are reasons for Renaissance, effect of Renaissance पुनर्जागरण की विशेषताएं, इटली में ही पुनर्जागरण क्यों और इसका प्रभाव
इटली में पुनर्जागरण
प्राचीन युग में बेहद ही समृद्ध यूनानी एवं रोमन सभ्यता थी जो मध्यकाल में आते आते लुप्त हो चुकी थी तथा पुनर्जागरण काल में फिर से उजागर कर एक नवीन चेतना का आधार बनाया गया अगर हम इतिहासकारों की बात माने तो पुनर्जागरण का आरंभ यूरोप इतिहास मैं आकस्मिक घटना नहींथी अपितु इसके पदचिन्ह पहले से ही मौजूद थे और यह कहना भी उचित नहीं होगा कि यूरोप का मध्यकाल पूर्णता अंधकार युग था लेकिन मध्यकाल की समाप्ति तक ऐसी परिस्थितियां जरूर उत्पन्न हो गई जिन्होंने मनुष्य को पहले से अधिक चेतना युक्त बना दिया । पुनर्जागरण काल मोटे तौर पर तेरहवीं शताब्दी के मध्य से प्रारंभ हुआ 15 वी शताब्दी के मध्य के बीच माना जाता है और आज का वर्तमान यूरोप का आरंभ पुनर्जागरण से ही माना जाता है क्योंकि पुनर्जागरण ने यूरोप में विचार करने की स्वतंत्रता, वैज्ञानिक एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण , चर्च के शासन से मुक्ति , कला और साहित्य में विकास के लिए प्रेरित किया ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास के झलक में लिखा है । पुनर्जागरण का अर्थ है कला और साहित्य, भाषाओं तथा विज्ञान का विकास
पुनर्जागरण की विशेषताएं
मानवतावादी
स्वतंत्र चिंतन
विज्ञानवाद
सहज सौंदर्य की उपासना
मानवतावादी
पुनर्जागरण की यह सबसे प्रमुख विशेषता थी । मानवतावाद का अर्थ है मानव जीवन में रुचि लेना और मानव का अध्ययन कर उनकी समस्याओं से निपटना तथा मानव जीवन के महत्व को स्वीकार करना । इससे हमें पता चलता है मानववाद ने मानव जीवन को और अधिक सुखी समृद्ध बनाने का संदेश दिया है पुनर्जागरण की मानवतावादी स्वरूप के कारण मनुष्य ने अपना ध्यान मानव जीवन की वास्तविक समस्याओं पर केंद्रित किया। जिनमें पेट्राक जैसे मानवतावादी में अपने साहित्यिक कृतियों में उस समय में व्याप्त अंधविश्वासों और धर्म कार्य की जीवन प्रणाली पर खिल्ली उड़ाई है। इनके अलावा इरेस्मस का नाम भी आता है और इन्हें मानववादियों का राजा कहा जाता है
स्वतंत्र चिंतन
पुनर्जागरण काल में स्वतंत्र चिंतन को बढ़ावा दिया गया । तथा उस समय व्याप्त धार्मिक रूढ़ीवादी गतिविधियों के स्थान पर चिंतन और विवेक शुरुआत हुई । स्वतंत्र चिंतन ने विचारकों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से रूबरू कराया। जिससे उन्होंने सामान्य जन को अंधविश्वासों से और धार्मिक रूढ़िवादिता से अवगत कराया ।
विज्ञानवाद
पुनर्जागरण काल में विज्ञान को अधिक बढ़ावा मिला इसको हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं रोजन बेकेन ने कहा था हम ज्ञान को दो प्रकार से प्राप्त करते हैं पहला वाद विवाद तथा दूसरा प्रयोग द्वारा ।
वाद विवाद से प्रश्न का अंत हो जाता है और हम उस पर सोचना बंद कर देते हैं किंतु इसमें प्रमाण नहीं होता। इससे ना तो संदेह समाप्त होता है और ना ही हमारे मन में शांति होती है यानी जब तक अनुभव एवं प्रयोग कर उस पर ज्ञान प्राप्ति ना की जाए तब तक वह मान्य नहीं माना जाएगा। वैज्ञानिक चेतना में फ्रांसिस बेकन का नाम उल्लेखनीय रहा है
सहज सौंदर्य की उपासना:-पुनर्जागरण साहित्य एवं कला में सहज सुंदर की उपासना की गई है यह उपासना भौतिक एवं मानसिक दबाव से मुक्त करती है तथा इस युग में कला और साहित्य पर मानवतावादी का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इटली के कलाकार लियानाडो डा विंची चित्रकार थे उनकी प्रमुख कृति मोनालिसा थी उन्होंने कहा था कि एक अच्छे चित्रकार की दो प्रमुख चीज़ो का चित्रण करना होता है मनुष्य और उसके मन की भावना ।
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Leonardo da Vinci |
पुनर्जागरण के कारण
पुनर्जागरण अकस्मात ना होकर अनेक घटनाओं का सम्मिलित रुप के प्रभावों से हुआ है । मध्य काल के अंतिम चरण में यूरोप के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर कुछ ऐसे परिवर्तन हो रहे थे जिन्होंने पुनर्जागरण की भावना के विकास का मार्ग प्रशस्त किया और इसी काल में नवीन चेतना का सूत्र बोया गया
धर्म युद्ध
व्यापारिक समृद्धि
कागज और छाप खाना
कुस्तु़ंतुनिया पर तुर्की का आधिपत्य
अरबों का योगदान
धर्म युद्ध
11 वीं शताब्दी के अंतिम दशक से 13वी शताब्दी के अंत तक पवित्र स्थल जेरूसलम को लेकर ईसाईयों और मुसलमानों के बीच यूरोप में युद्ध लड़े गए जिन्हें धर्म युद्ध कहा गया इन धर्म युद्ध के कारण यूरोप वासियों का संपर्क पूर्वी देशों से हुआ जिससे वहां के विचार, ज्ञान विज्ञान आदि का परिचय मिला । धर्म युद्ध से यात्राओं और भौगोलिक अध्ययन को प्रोत्साहन मिला ।
व्यापारिक समृद्धि
धर्मेंयुद्ध ने यूरोप और एशिया के मध्य व्यापार को बढ़ावा दिया इससे हुई प्रगति ने पुनर्जागरण में चार प्रकार से सहयोग किया
*यूरोपीय व्यापारी व्यवसाय के सिलसिले से विभिन्न देशों में पहुंचे और वहां पर नए विचारों और प्रगतिशील बातों से परिचित हुए और जब वे अपनेदेश लौटे तो उन्होंने इन विचारों को अपनाये ।
*व्यापार ने नए-नए शहरों वेनिस, मिलान, फ्लोरेंस, आंग्ल वर्ग आदि को विकसित किया
*व्यापार से पैदा हुई समृद्धि की धनवान व्यापारी वर्ग ने शिक्षा साहित्य एवं कला को प्रोत्साहित किया।
*समृद्धि व्यापारी वर्ग शक्ति के मैं केंद्र के रूप में उभरे और उन्होंने चर्च के विचारों की कड़ी आलोचना की जैसे सूद का पाप को मानने पर चर्च के विचार विरोध किया
कागज और छापखाना:- कागज बनाने की चीनी कला यूरोप वासियों ने अरबों के संपर्क में आने से सीखी जिससे कागज लेखन को बढ़ावा मिला लेकिन सर्वप्रथम कागज को बनाने का श्रेय चीन को जाता है 15वी शताब्दी के मध्य में जोहान्स गुटेनबर्ग नामक जर्मन ने मुद्रण यंत्र का आविष्कार किया जिससे कि ज्ञान प्रसार का मार्ग प्रशस्त हुआ ।
कुस्तु़ंतुनिया पर तुर्की का आधिपत्य:- 1493 में बाइजेंटेन साम्राज्य पूर्वी यूरोप की राजधानी कुस्तु़ंतुनिया पर तुर्की ने आधिपत्य कर लिया जिससे वहां रहने वाले विद्वान और स्कॉलर तुर्कों से परेशान होकर वहां से पलायन हो गए और यूरोप की ओर चले गए वे अपने साथ पांडुलिपिया, कलाकृतियां लेकर इटली में जाकर बस गए
अरबों का योगदान:- यूरोप के बहुत से देशों विशेषकर स्पेन सिसली में अरबी लोगों की बस्तियां बस चुकी थी अरब लोग स्वतंत्र विचारों को मानने वाले थे लेकिन उन पर प्राचीन यूनानी अरस्तु और प्लेटो आदि का बहुत प्रभाव था अरबों ने स्वभाविक रूप से पूर्वी ज्ञान विज्ञान का तोहफा यूरोप को दिया।
भौगोलिक अनुकूलता
*यूरोपीय व्यापारी व्यवसाय के सिलसिले से विभिन्न देशों में पहुंचे और वहां पर नए विचारों और प्रगतिशील बातों से परिचित हुए और जब वे अपनेदेश लौटे तो उन्होंने इन विचारों को अपनाये ।
*व्यापार ने नए-नए शहरों वेनिस, मिलान, फ्लोरेंस, आंग्ल वर्ग आदि को विकसित किया
*व्यापार से पैदा हुई समृद्धि की धनवान व्यापारी वर्ग ने शिक्षा साहित्य एवं कला को प्रोत्साहित किया।
*समृद्धि व्यापारी वर्ग शक्ति के मैं केंद्र के रूप में उभरे और उन्होंने चर्च के विचारों की कड़ी आलोचना की जैसे सूद का पाप को मानने पर चर्च के विचार विरोध किया
कागज और छापखाना:- कागज बनाने की चीनी कला यूरोप वासियों ने अरबों के संपर्क में आने से सीखी जिससे कागज लेखन को बढ़ावा मिला लेकिन सर्वप्रथम कागज को बनाने का श्रेय चीन को जाता है 15वी शताब्दी के मध्य में जोहान्स गुटेनबर्ग नामक जर्मन ने मुद्रण यंत्र का आविष्कार किया जिससे कि ज्ञान प्रसार का मार्ग प्रशस्त हुआ ।
कुस्तु़ंतुनिया पर तुर्की का आधिपत्य:- 1493 में बाइजेंटेन साम्राज्य पूर्वी यूरोप की राजधानी कुस्तु़ंतुनिया पर तुर्की ने आधिपत्य कर लिया जिससे वहां रहने वाले विद्वान और स्कॉलर तुर्कों से परेशान होकर वहां से पलायन हो गए और यूरोप की ओर चले गए वे अपने साथ पांडुलिपिया, कलाकृतियां लेकर इटली में जाकर बस गए
अरबों का योगदान:- यूरोप के बहुत से देशों विशेषकर स्पेन सिसली में अरबी लोगों की बस्तियां बस चुकी थी अरब लोग स्वतंत्र विचारों को मानने वाले थे लेकिन उन पर प्राचीन यूनानी अरस्तु और प्लेटो आदि का बहुत प्रभाव था अरबों ने स्वभाविक रूप से पूर्वी ज्ञान विज्ञान का तोहफा यूरोप को दिया।
पुनर्जागरण के कारण आखिर इटली में ही क्यों हुआ?
पुनर्जागरण की अरुणिमा सर्वप्रथम इटली में ही फैली और इटली से ही पुनर्जागरण का प्रकाश इंग्लैंड फ्रांस जर्मनी आदि यूरोपीय देशों में फैला ।
कारणभौगोलिक अनुकूलता
सांस्कृतिक विशिष्टता
आर्थिक समृद्धि
नगर राज्य
भौगोलिक अनुकूलता;-भौगोलिक दृष्टि से इटली को यूरोप के अन्य देशों की तुलना में अनेक लाभ थे निकटता की सुविधा के कारण पूर्वी और पश्चिमी देशों के मध्य बढ़ती हुई व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख और मध्यस्थ केंद्र बन गया था इसके अलावा विदेशों से आने वाले नवीन विचारों को भी सर्वप्रथम इटली ने ग्रहण किया। धर्में युद्ध से लौटने वाले लोगों ने पहले इटली के नगरों में ही शरण ली
सांस्कृतिक विशिष्टता:- इटली की इस सांस्कृतिक पृष्ठभूमि यूरोप में पुनर्जागरण का उल्लेखनीय योगदान दिया । इस युग के लेखकों और कलाकारों ने यूनान की संस्कृति के साथ-साथ प्राचीन रोमन सभ्यता संस्कृति की प्रेरणा ग्रहण की । इटली स्वयं रोमन संस्कृति के जन्म का केंद्र बिंदु था।
आर्थिक समृद्धि:- इटली के नगर बेहद ही समृद्ध थे तथा उनकी यह समृद्धि विदेशी व्यापार के कारण ही संभव थी। भूमध्य सागर की अनुकूल स्थिति मैं यूरोप के नगर मिलान, फ्लोरेंस, वेनिस आदि को व्यापार का केंद्र बना दिया था
नगर राज्य:-इटली के कुछ नगर जैसे फ्लोरेंस और वेनिस स्वतंत्र राज्यों के रूप में विकसित हो गए। इन नगर राज्यों पर सम्राट एवं पोप का नियंत्रण अपेक्षाकृत बहुत शिथिल था।
आर्थिक समृद्धि
नगर राज्य
भौगोलिक अनुकूलता;-भौगोलिक दृष्टि से इटली को यूरोप के अन्य देशों की तुलना में अनेक लाभ थे निकटता की सुविधा के कारण पूर्वी और पश्चिमी देशों के मध्य बढ़ती हुई व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख और मध्यस्थ केंद्र बन गया था इसके अलावा विदेशों से आने वाले नवीन विचारों को भी सर्वप्रथम इटली ने ग्रहण किया। धर्में युद्ध से लौटने वाले लोगों ने पहले इटली के नगरों में ही शरण ली
सांस्कृतिक विशिष्टता:- इटली की इस सांस्कृतिक पृष्ठभूमि यूरोप में पुनर्जागरण का उल्लेखनीय योगदान दिया । इस युग के लेखकों और कलाकारों ने यूनान की संस्कृति के साथ-साथ प्राचीन रोमन सभ्यता संस्कृति की प्रेरणा ग्रहण की । इटली स्वयं रोमन संस्कृति के जन्म का केंद्र बिंदु था।
आर्थिक समृद्धि:- इटली के नगर बेहद ही समृद्ध थे तथा उनकी यह समृद्धि विदेशी व्यापार के कारण ही संभव थी। भूमध्य सागर की अनुकूल स्थिति मैं यूरोप के नगर मिलान, फ्लोरेंस, वेनिस आदि को व्यापार का केंद्र बना दिया था
नगर राज्य:-इटली के कुछ नगर जैसे फ्लोरेंस और वेनिस स्वतंत्र राज्यों के रूप में विकसित हो गए। इन नगर राज्यों पर सम्राट एवं पोप का नियंत्रण अपेक्षाकृत बहुत शिथिल था।
पुनर्जागरण का परिणाम
कला के क्षेत्र में पुनर्जागरण , चित्रकला मूर्तिकला, स्थापत्य कला साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण अन्य क्षेत्रों पर जागरण
कला के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल की प्रमुख विशेषता थी । सहज एवं सुंदरता की उपासना। इस युग की कला, चित्रकला, स्थापत्य कला एवं संगीत पर मानवतावादी प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । इटली में मुख्य रूप से तीन लोगों का चित्रकला में महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिनमें लियोनार्डो द विंची,माईकल एंजलो और राफेल थे । लियोनार्डो द विंची जो की फ्लोरेंस के निवासी थे उनकी महत्वपूर्ण कृति मोनालिसा थी
साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल के पहले साहित्य का का सृजन केवल लेटिन और यूनानी भाषा में ही होता था। देसी भाषाएं असभ्य मानी जाती थी लेकिन पुनर्जागरण काल में देशी भाषाओं में भी साहित्य लिखा गया जिससे साहित्य का व्यापक प्रसार हुआ। इटली के साहित्यकारों में पैट्राक, दांटेऔर बुकासियो मुख्य थे। दांते की प्रसिद्ध रचना देवाइन कॉमेडी देशी भाषा में लिखी थी तथा दांटे को इतावली कविता का जनक कहा जाता है ।
विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल में विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति हुई । जिसके निम्न कारण जिम्मेदार रहे हैं पोस्टेड धर्म के लोगों को धार्मिक नियंत्रण से मुक्ति दिला कर स्वतंत्र चिंतन और विचारों को प्रेरित किया। मानववाद से बौद्धिक विकास में मदद मिली। उस समय भौगोलिक खोजो ने नवीन चीजों के बारे में जानने की जिज्ञासा को पैदा किया । फ्रांसिस बेकन ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का वर्णन करते हुए लिखा की ज्ञान की प्राप्ति केवल परीक्षण और प्रयोग से ही हो सकती है ।
इसी समय पोलैंड की वैज्ञानिक कॉपर्निक्स ने बताया कि सूर्य के चक्कर ग्रह लगाते हैं और पृथ्वी एक ग्रह है, जोहान्स कैपलर ने ग्रहों की गति के बारे में बताया और प्रसिद्ध वैज्ञानिक गैलीलियो गैली में दूरबीन का आविष्कार किया । इंग्लैंड के महान वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया। इस युग में विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया को प्रवेश कराया।
अन्य भौगोलिक अनुसंधान: पुनर्जागरण के परिणाम स्वरूप जो वातावरण तैयार हो रहा था उसने यूरोप वासियों को इस संसार को देखने और उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन किया। इससे यूरोप वासियों को भूगोल में अभिरुचि का विकास हुआ । क्रिस्टोफर कोलंबस जो भारत जाने का नया मार्ग खोजने के नाम पर उन्होंने 1492 में अमेरिका महाद्वीप की खोज की । पुर्तगाल के वास्को डी गामा ने 1498 अफ्रीका का चक्कर लगाते हुए भारत की खोज की।
कला के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल की प्रमुख विशेषता थी । सहज एवं सुंदरता की उपासना। इस युग की कला, चित्रकला, स्थापत्य कला एवं संगीत पर मानवतावादी प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । इटली में मुख्य रूप से तीन लोगों का चित्रकला में महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिनमें लियोनार्डो द विंची,माईकल एंजलो और राफेल थे । लियोनार्डो द विंची जो की फ्लोरेंस के निवासी थे उनकी महत्वपूर्ण कृति मोनालिसा थी
साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल के पहले साहित्य का का सृजन केवल लेटिन और यूनानी भाषा में ही होता था। देसी भाषाएं असभ्य मानी जाती थी लेकिन पुनर्जागरण काल में देशी भाषाओं में भी साहित्य लिखा गया जिससे साहित्य का व्यापक प्रसार हुआ। इटली के साहित्यकारों में पैट्राक, दांटेऔर बुकासियो मुख्य थे। दांते की प्रसिद्ध रचना देवाइन कॉमेडी देशी भाषा में लिखी थी तथा दांटे को इतावली कविता का जनक कहा जाता है ।
विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-पुनर्जागरण काल में विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति हुई । जिसके निम्न कारण जिम्मेदार रहे हैं पोस्टेड धर्म के लोगों को धार्मिक नियंत्रण से मुक्ति दिला कर स्वतंत्र चिंतन और विचारों को प्रेरित किया। मानववाद से बौद्धिक विकास में मदद मिली। उस समय भौगोलिक खोजो ने नवीन चीजों के बारे में जानने की जिज्ञासा को पैदा किया । फ्रांसिस बेकन ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का वर्णन करते हुए लिखा की ज्ञान की प्राप्ति केवल परीक्षण और प्रयोग से ही हो सकती है ।
अन्य भौगोलिक अनुसंधान: पुनर्जागरण के परिणाम स्वरूप जो वातावरण तैयार हो रहा था उसने यूरोप वासियों को इस संसार को देखने और उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन किया। इससे यूरोप वासियों को भूगोल में अभिरुचि का विकास हुआ । क्रिस्टोफर कोलंबस जो भारत जाने का नया मार्ग खोजने के नाम पर उन्होंने 1492 में अमेरिका महाद्वीप की खोज की । पुर्तगाल के वास्को डी गामा ने 1498 अफ्रीका का चक्कर लगाते हुए भारत की खोज की।
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