Universe, solar system & planets, satellite,blood moon, super moon, blood moon, blue moon ब्रह्मांड, सौर मंडल और ग्रह उपग्रह, ब्लू मून, ब्लड मून, सुपर मून
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Milkeyway galaxy दुग्ध मेखला आकाशगंगा |
What is universe ब्रह्मांड क्या है
ब्रह्मांड अनंत है जिसका कोई आकार नहीं है । ब्रह्मांड समस्त रूप से समय और अंतरिक्ष से मिलकर बनता है । जिसे ब्रह्मांड कहते हैं। ब्रह्मांड में तारे , ग्रह , आकाशगंगा, खगोलीय पिंड, अंतरिक्ष में व्याप्त आपरमाण्विक, पदार्थ, ऊर्जा आदि को सम्मिलित किया गया है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अब तक सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंग थ्योरी है जिसके अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति आज से लगभग 13.78 बिलियन वर्ष पूर्व हुई थी। ब्रह्मांड की उत्पत्ति अचानक विस्फोट के कारण पदार्थों में बिखराव हुआ जिससे ब्रह्मांड के अनेक पिंडों का निर्माण हुआ। हमारे ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब गैलेक्सिया अर्थात आकाशगंगाए है तथा आकाशगंगा असंख्य तारों का एक पुंज होता है। जिसमें एक केंद्रीय बल्ज़ और तीन भुजाएं होती हैं। और यह चक्रित तीन भुजाएं अनेक तारों से निर्मित होती हैं बल्ज़ को आकाशगंगा का केंद्र माना जाता है। प्रत्येक आकाशगंगा में अनुमानित लगभग 100 अरब तारे होते हैं। हमारी आकाशगंगा को मंदाकिनी कहा जाता है। जिसकी आकृति सर्पिलाकर है।सौर मंडल
सूर्य
यह हमारे सौरमंडल का जन्मदाता है। और एक तारा है जो अपनी ऊर्जा को प्रकाश के रूप में पहुंचाता है।सूर्य की ऊर्जा का मुख्य स्रोत उसके केंद्र में है जिसका वह भाग जो हमें आंखों से दिखाई देता है उसे प्रकाश मंडल कहते हैं। और वह भाग जो केवल सूर्य ग्रहण के समय दिखाई पड़ता है उसे कोरोना कहते हैं।
लेकिन कभी-कभी प्रकाश मंडल से परमाणुओं का तूफान इतनी तेजी से निकलता है कि सूर्य की आकर्षण शक्ति से बाहर अंतरिक्ष में चला जाता है। तथा इस सौर तूफान को सौर ज्वाला कहते हैं। और यह सौर ज्वाला पृथ्वी के भाग में चमकती हुई दिखाई पड़ती है जिसे उत्तरी ध्रुव में अरोरा बोरियलिस कहते हैं जबकि यह कण दक्षिणी ध्रुव पर चमकते हैं। उन्हें अरोरा ऑस्ट्रेलिस से कहते हैं।
ग्रह
ग्रह तारों की परिक्रमा करने वाले प्रकाश बिना प्रकाशमान आकाशीय पिंड को ग्रह कहते है। हमारे सौर परिवार मैं सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर करते हैं परंतु शुक्र और अरुणा इसके अपवाद है तथा यह सूर्य के चारों ओर पूर्व से पश्चिम दिशा में चक्कर लगाते हैं।
बुध
मरकरी ग्रह सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है तथा सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है जो 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा को पूर्ण कर लेता है। वायुमंडल के अभाव के कारण बुध पर जीवन संभव नहीं है क्योंकि यहां दिन अधिक गर्म और रात में बहुत ही बर्फीली होती है एवं इसका ताप अतर सभी ग्रहों में सबसे अधिक है। बुध ग्रह का एक दिन पृथ्वी के 90 दिन के बराबर है। इस ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है।
शुक्र
शुक्र ग्रह सूर्य के निकट से दूसरे स्थान पर है यह सूर्य की परिक्रमा करने में 225 दिन लगाता है। शुक्र ग्रह की सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में चक्कर लगाता है इसलिए शुक्र पर सूर्य उदय पश्चिम दिशा में होता है। शुक्र पृथ्वी से सबसे नजदीकी ग्रह है।शुक्र का आकार द्रव्यमान पृथ्वी से थोड़ा कम होने के कारण इसे पृथ्वी की बहन कहा जाता है। सुपर का वायुमंडल 90 परसेंट से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड से मिलकर बना। इस कारण यहां पर प्रेशर कुकर की दशा बनी रहती है। बुध की तरह इसका भी कोई उपग्रह नहीं है।
हमारा ग्रह पृथ्वी
पृथ्वी सूर्य के निकट से दूसरे स्थान पर है और यह ग्रहों के आकार के आधार पर पांचवें स्थान पर आती है। पृथ्वी शुक्र और मंगल के बीच में अवस्थित है। इसकी सूर्य से दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर औसत दूरी है।
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Inner planet |
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Earth |
मंगल
मंगल सूर्य से चौथे स्थान पर अवस्थित है और यह सूर्य की परिक्रमा 687 दिनों में पूरा करता है। मंगल ग्रह की सतह लाल होने के कारण इसे लाल ग्रह भी कहते हैं। इस ग्रह का वायुमंडल अत्यंत विरल है। और इसके 2 उपग्रह हैं। जिनमें डिवोस सौरमंडल का सबसे छोटा उपग्रह है।मंगल ग्रह का सबसे ऊंचा पर्वत निक्स ओलंपिया है जो माउंट एवरेस्ट से 3 गुना बड़ा है।
बृहस्पति
बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो सूर्य की परिक्रमा 11.9 वर्ष में पूरा करता है इसके 67 उपग्रह हैं उनमें गेनीमेड सबसे बड़ा है और यह बृहस्पति का सबसे बढ़ाओ पूछ रहे होने के साथ-साथ सौरमंडल का भी सबसे बड़ा उपग्रह है। बृहस्पति का वायुमंडल हाइड्रोजन, हिलियम, मीथेन गैस से बना है।
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Jupiter |
शनि आकार में दूसरा बड़ा ग्रह है और सूर्य से छठवें स्थान पर उपस्थित है यह सूर्य की परिक्रमा 29.5 वर्ष में पूरा करता है और इसकी सबसे बड़ी विशेषता एवं रहस्य यह है कि इस के मध्य रेखा के चारों ओर पूर्ण विकसित वल्यों का होना है जिनकी संख्या 7 है। जोकि इसकी गुरुत्वाकर्षण के कारण परिक्रमा करते हैं। इसके वायुमंडल में बृहस्पति के समान हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया गैसे पाई जाती हैं। इसके पास सबसे अधिक उपग्रह हैं जिनकी संख्या 87 है। टाइटन उपग्रह सबसे बड़ा है
अरुण:अरुण की खोज सबसे पहले विलियम हरशेल द्वारा की गई और बताया यह सौरमंडल का सातवा और आकार की दृष्टि से तीसरा बड़ा ग्रह है।यह ग्रह अपने अक्ष पर अधिक झुकाव के कारण लेटा हुआ प्रतीत होता है इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरा करता है। अरुण का वायुमंडल बृहस्पति और शनि की भांति काफी सघन है जिसमें हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया पाया जाता है। शनि ग्रह की भांति ही अरुण की वलयों की संख्या 5 है जिन्हें अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलोन कहते हैं। अरुण की 27 उपग्रह हैं।अरुण पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में और सूर्यास्त पूरब दिशा में होता है।
वरुण: वरूण-नेप्चून की खोज जोहान गाले ने की थी तथा यह ग्रह 165 बरस में सूर्य की परिक्रमा पूरा करता है इसका वायुमंडल अत्यधिक घना है यह ग्रह हल्का सा पीला दिखाई देता है और इसके 13 उपग्रह हैं
नोट:-प्लूटो -इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के प्राग सम्मेलन में वैज्ञानिकों द्वारा इससे ग्रह का दर्जा छीन लिया गया। ग्रहों की नई परिभाषा दी उनके अनुसार जिसका अपना गुरुत्व होतो, विशाल हो और गोलाकार हो, सूर्य का चक्कर काटता हो ग्रहों की दर्जे में आएगा इसके साथ-साथ किसी कक्षा के पड़ोसी ग्रह का रास्ता ना काटता हो। प्लूटो अब बौने ग्रह की श्रेणी में आता है इसलिए सौरमंडल में मात्र आठ ग्रह ही रह गए हैं
उपग्रह: उपग्रह- ये वे आकाशीय पिंड है जो अपने अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं तथा अपने ग्रह के साथ सूर्य की परिक्रमा करते हैं ग्रहों की भांति ही इनमें भी अपनी चमक नहीं होती। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा की पृथ्वी से औसत दूरी लगभग 384400 किलोमीटर है।
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Moon |
Supermoon: सुपर मून वह स्थिति है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है इससे परेजी फुल मून भी कहा जाता है जिससे चंद्रमा 14 गुना बड़ा और 30 गुना अधिक चमकीला दिखाई देता है।
ब्लू मून: ब्लू मून-यह वह स्थिति होती है जब एक कैलेंडर माह में दो पूर्णिमा हो तो दूसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है इसका रंग से कोई संबंध नहीं है। ऐसा हर दो-तीन साल में होता है।
ब्लड मून 🌒: ब्लड मून यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लगातार चार पूर्ण चंद्र ग्रहण घटित हो जिन्हें टेट्रोड कहा जाता है।जब पृथ्वी चंद्रमा पर छाया डालता है तब पूर्ण चंद्र ग्रह की स्थिति उत्पन्न होती है इसमें चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है इसे ही ब्लड मून या रक्त चंद्र कहा जाता है।
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