संसदीय समितियां

संसदीय समितियांx

सांसद यानी लोकसभा एवं राज्यसभा का भार कम करने की और समय की बचत के लिए संसदीय समितियों की स्थापना की जाती है
संसदीय समितियों को दो भागों में बांटा गया है प्रथम स्थाई समितियां द्वितीय तदर्थ समितियां
स्थाई समितियां यानी स्टैंडिंग कमेटी यह वह समिति होती है स्थाई प्रकृति की होती है जो निरंतर कार्य करती है और इनका गठन प्रत्येक वर्ष किया जाता है 

तदर्थ समितियां यानी एडहॉक कमेटी इनकी प्रकृति अस्थाई होती है और इनका गठन निश्चित एवं विशेष कार्य के लिए किया जाता है और कार्य समाप्त होने के पश्चात इन को समाप्त कर दिया जाता है।
स्थाई समितियों को 6 भागों में बांटा गया है वित्तीय समितियां, विभागीय स्थाई समितियां, जांच के लिए गठित समितियां, परीक्षण नियंत्रण के लिए गठित समितियां, सदन के दैनिक कार्यों के लिए संबंधित समितियां, सदन समितियां एवं सेवा समिति।
प्रथम वित्तीय समितियां-वित्तीय समिति को तीन भागों में बांटा गया है प्रथम लोक लेखा समिति, द्वितीय प्राक्कलन समिति, तृतीय सार्वजनिक उद्यम समिति
लोक लेखा समिति-लोक लेखा समिति यानी पब्लिक अकाउंट्स कमिटी का गठन 1921 में किया गया तथा यह समिति भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत अस्तित्व में आई।
लोक लेखा समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं जिसमें 15 लोकसभा से और 7 राज्य सभा से।
समानुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के अनुसार हस्तांतरण मत के माध्यम से प्रतिवर्ष संसद द्वारा लोक लेखा समिति के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। इस समिति में सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है और समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा लोकसभा के सदस्यों में से ही की जाती है
ध्यान देने बात यह है कि 1967 से समिति का अध्यक्ष विपक्ष दल के नेता को अध्यक्ष बनाया जाता है
लोक लेखा समिति के कार्य
यह समिति केंद्र सरकार के विनियोग एवं वित्त लेखा की जांच करता है। कैग के द्वारा समीक्षा की जाती है कि सरकार द्वारा उपयोग किया गया धन वैधानिक रूप से सही है या नहीं। केग राज्य निगम एवं व्यापारिक संस्थानों के लेखा की जांच भी करता है
प्राक्कलन समिति
प्राक्कलन समिति का गठन 1950 मेे स्वतंत्रता के बाद हुआ। इस समय भारत के वित्त मंत्री जॉन मथाई थे। प्राक्कलन समिति में मुख्यता 25 सदस्य थे लेकिन 1956 में इसे बढ़ाकर 30 कर दिया गया।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें सभी 30 सदस्य लोकसभा के होते हैं। यानी राज्यसभा का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं होता ।
सदस्यों का चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर एकल मत हस्तांतरण द्वारा लोकसभा के सदस्यों से प्रतिवर्ष किया जाता है। इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि कोई भी मंत्री समिति का सदस्य नहीं होता।
इस समिति को सतत विकास किफायत समिति भी कहते हैं
प्राक्कलन समिति के कार्य
सार्वजनिक व्यय में किफायती तरीके से संबंधित सुझाव देना।
नीतियों का अनुरूप तैयार करना।
बजट में सम्मिलित अनुमानों की जांच करना।
संसद को सुझाव देना कि प्राक्कलन किस रूप में हो।

टिप्पणियाँ

4

प्रयोजनवाद क्या है प्रयोजनवाद का सिद्धांत और शिक्षा प्रयोजनवाद के जनक, रॉस के अनुसार प्रयोजनवाद,प्रयोजनवाद के रूप ,प्रयोजनवाद व शिक्षा,प्रयोजनवाद व शिक्षण विधियां,प्रयोजनवाद का मूल्यांकन

Budhha philosophy Pratitayasamutpad, anityavad, chadhikvad, anatamvad बौद्ध दर्शन प्रतीत्यसमुत्पाद- अनित्यवाद- क्षणिकवाद- अनात्मवाद

कबीर,कबीर के उपदेश,कबीर का एकेश्वरवाद,कबीर पंथ,कबीर का काव्य सौंदर्य,कबीर का रहस्यवाद,कबीर का दार्शनिक विचार ,कबीर की कृतियां,बीजक ,कबीर के दोहे