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क्वांटम कंप्यूटर

क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम कम्प्यूटिंग दुनिया का नजरिया बदल सकता है यह दवा, कृत्रिम बुद्धिमता, संचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है आज क्वांटम कंप्यूटर को बनाने के लिए आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी कंपनियां अथक प्रयास कर रही हैं। क्वांटम कंप्यूटर को जानने से पहले हमें यह जानना होगा कि क्वांटम फिजिक्स क्या है ( क्वांटम फिजिक्स ) भौतिकी विज्ञान का वह भाग है जिसमेंसूक्ष्म पदार्थ जैसे फोटॉन, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन जैसे सब एटॉमिक पार्टिकल का अध्ययन किया जाता ह। क्वांटम भौतिकी का केंद्रीय सिद्धांत है यह है कि ऊर्जा अविभाज्य पैकेट के रूप में आती है जिसे क्वांटा कहा जाता है। क्वांटम कंप्यूटर क्या है? क्वांटम कंप्यूटर ऐसी मशीनें है जो क्वांटम भौतिकी(quantum physics) के गुणों को उपयोग कर डेटा संग्रह और संगणना का कार्य करती है।  आज क्लासिकल कंप्यूटर जिसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप, टेबलेट आदि शामिल है यह जानकारी को बायनरी कोड में एनकोड करते हैं जिनका परिणाम या तो 0 हो सकता है या या फिर 1 हो सकता है। जबकि क्वांटम कंप्यूटर में क्वांटम बिट्स या क्...

सोलर मिनिमम क्या है?

सोलर मिनिमम क्या सूर्य लॉक्डाउन में चला गया? दुनिया भर में कोरोनावायरस का प्रकोप स्पष्ट रूप से वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य पर खतरा बना हुआ है। लेकिन, अब सौर न्यूनतम के रूप में मानवता के लिए अगला बड़ा खतरा होने की आशंका जताई है सूर्य के लॉकडाउन अवधि में होने से पृथ्वी पर गंभीर ठंड, सूखे, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ गई है।   सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के दुनिया भर के कई वैज्ञानिकों द्वारा कमजोर होने का संदेह है, जिसके परिणामस्वरूप हमारे सौर मंडल में अतिरिक्त ब्रह्मांड की किरणें प्रवेश करती हैं। दुनिया भर के अंतरिक्ष अधिकारियों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है क्योंकि सूरज कथित तौर पर 'लॉकडाउन' अवधि में जा रहा है। सोलर मिनिमम क्या है? सोलर मिनिमम सूर्य की सतह पर होने वाली ऎसी घटना है जिसमें सूर्य के प्रकाश, सन स्पॉट और सौर चमक में कमी आती है। इसे सोलर मिनिमम या सूर्य का लॉकडाउन भी कहते है।  सोलर मिनिमम से सूर्य के मैगनेटिक फील्ड और सौर विकिरण में अप्रत्याशित कमी आ जाती है।  सोलर मिनिमम के प्रभाव कॉस्मिक किरणें तेज हो रही हैं क्योंकि सूर्य एक...

कबीर,कबीर के उपदेश,कबीर का एकेश्वरवाद,कबीर पंथ,कबीर का काव्य सौंदर्य,कबीर का रहस्यवाद,कबीर का दार्शनिक विचार ,कबीर की कृतियां,बीजक ,कबीर के दोहे

कबीर  कबीर 15 वी शताब्दी के रहस्यवादी कवि और संत है। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ एवं मृत्यु मगहर में हुई। कबीर किसके समकालीन थे कबीर सिकंदर लोदी के समकालीन थे। कबीर (हिंदीसाहित्य) भक्ति काल के ज्ञानाश्रीय निर्गुण काव्य शाखा के प्रवर्तक थे।  उनकी वाणी से बहुत से सत्य और उनके कार्यों की जानकारी मिलती है और वह हिंदू और मुस्लिम एकता के समर्थक थे। कबीर के उपदेश रेमनी, सबद और सखियों के जरिए उन्होंने हिंदू और मुस्लिम को उपदेश दिए। वे किसी के साथ पक्षपात नहीं करते थे। उन्होंने सबके भले के लिए उपदेश देते हुए,तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियां, अनुष्ठान और अंधविश्वासों की कड़ी आलोचना की है। 17 वी शताब्दी से पहले यह कहानी सुनाई जाती थी कि संत कबीर रामानंद के शिष्य थे जिनके कारण मजहिब के लेखकों ने उन्हें वैष्णव बैरागी माना है।  उनका झुकाव वैष्णो मत की ओर था जिसका मुख्य कारण था कि उन्होंने ईश्वर को राम वंश माना। परंतु उनके काव्य में राम के परिवार या देवताओं का उल्लेख नहीं मिलता। कबीर का एकेश्वरवाद कबीर ऐसे एकेश्वरवाद की स्थापना करते हैं जिसमें ईश्वर के प्र...

प्लेटो का आदर्श राज्य का सिद्धांत,काव्य का सिद्धांत, न्याय का सिद्धांत, दार्शनिक राजा का सिद्धांत, साम्यवाद का सिद्धांत एवं प्लेटो की पुस्तकें

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प्लेटो कौन थे प्लेटो यूनान के महान दार्शनिक थे। इनका जन्म 428 ईसा पूर्व एथेंस के समीप इजीना नामक द्वीप पर हुआ था। प्लेटो के पिता अरिस्टोन एथेंस के अंतिम राज्य कोट्स के वंश के थे और माता का नाम पेरिक्टोन था। प्लेटो का वास्तविक नाम क्या था प्लेटो का वास्तविक नाम   अरिस्टोक्लीस था। उनके लंबे कंधे, हष्ट पुष्ट एवं सुंदर शरीर के कारण उनके शिक्षक उन्हें प्लेटो कहते थे।  प्लेटो के गुरु कौन थे? प्लेटो के गुरु सुकरात थे। तथा सुकरात, प्लेटो और अरस्तु ने मिलकर पश्चिमी संस्कृति का दार्शनिक आधार को बनाया।  द एकेडमी की स्थापना किसने की? प्लेटो ने द एकेडमी की स्थापना की और यह एकेडमी पश्चिमी सभ्यता का पहला उच्च शिक्षा का केंद्र था। प्लेटो का जीवन परिचय प्लेटो देखने में बहुत ही सुंदर और हष्ट पुष्ट दिखते थे प्लेटो एक कुलीन वर्ग से आते थे इसलिए उनका पालन पोषण अच्छा हुआ।  उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। सुकरात की तरह ही प्लेटो ने अपने देश की सेना में सराहनीय योगदान दिया। वह 20 वर्ष की अवस्था में 406 ईसा पूर्व सुकरात के संपर्क में आए और वह सुकरात के प्रिय शिष्य बन गए। किं...

सुकरात की जीवनी और शिक्षा,सुकरात की शिक्षण पद्धति,डायलेक्टिक विधि

   सुकरात की जीवनी और शिक्षा, दर्शन  सुकरात की जीवनी सुकरात कौन थे महात्मा सुकरात का जन्म यूनान के एथेंस शहर में लगभग 469 ईसा पूर्व में हुआ।  उनका परिवार साधारण पूर्ण जीवन व्यतीत करता था उनके पिता सोफरोनिक्स जो कि पत्थर काटने का काम करते थे। एवं उनकी मां का नाम फिनारेटी था। तत्कालीन एथेंस की शिक्षा प्रणाली के अनुसार सुकरात ने शिक्षा प्राप्त की। सुकरात को अध्ययन करने का बेहद शौक था। इसलिए उन्होंने प्राचीन पुस्तकों, दार्शनिक ग्रंथ और महाकाव्यों का अध्ययन किया।  उस समय उन्होंने गणित विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र आदि विषय के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त की।  सामान्य परिवार में जन्मे होने के बावजूद उन्हें ना खाने की चिंता थी और ना ही कमाने की।  इस दशा से चिंतित होकर उनके माता-पिता ने यह सोचा कि सुकरात की शादी करा दी जाए जिससे वह अपनी जिम्मेदारी समझेगे तथा उनकी शादी जनथीपी नामक सुंदर कन्या से करा दी गई।  लेकिन उनका गृहस्थ जीवन सुख मय नहीं रहा और नाही उन में कोई फर्क पड़ा। वे अपना अधिकांश समय बाहरी लोगों से बातचीत, तर्क वितर्क, सवाल जवाब करके व्य...

प्रयोजनवाद क्या है प्रयोजनवाद का सिद्धांत और शिक्षा प्रयोजनवाद के जनक, रॉस के अनुसार प्रयोजनवाद,प्रयोजनवाद के रूप ,प्रयोजनवाद व शिक्षा,प्रयोजनवाद व शिक्षण विधियां,प्रयोजनवाद का मूल्यांकन

प्रयोजनवाद का सिद्धांत यह विचारधारा सभी विचारधाराओं में अधिक महत्वपूर्ण है प्रयोजनवाद के जन्मदाता चार्ल्स पियर्स है। इनके अलावा अन्य विचारकों ने भी इस विचारधारा पर मानव जीवन के व्यवहारिक पक्ष तथा अनुभव युक्त ज्ञान पर विशेष बल दिया है। जॉन डीवी और किलपैट्रिक ने शिक्षा को प्रयोजन वादी स्वरूप प्रदान करके नया  रूप प्रदान किया है। प्रयोजनवाद ऐसे विचार पर विश्वास करता है जो सभी प्रकार के मूल्य, आदर्श विचारों एवं निर्णय की सत्यता उनके निष्कर्ष के आधार पर निर्भर करते हो। प्रयोजनवाद क्या है Pragmatism in hindi  प्रयोजनवाद pragmatism मुख्य रूप से ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ प्रैक्टिकल या हिंदी भाषा में इसका अर्थ व्यवहारिक है प्रयोजनवाद को व्यवहारवाद भी कहते हैं प्रयोजनवाद और सत्यता प्रयोजनवाद जीवन की व्यवहारिकता और आचरण पर अधिक बल देता है और यह मानता है कि जो प्रयोग में लाया जा सके या जिसकी जांच की गई है वही वास्तविक और सत्य है तथा हम इस सिद्धांत के अनुसार सत्यता या वास्तविकता को गहनता से समझ पाते है। रॉस के अनुसार प्रयोजनवाद एक मानवीय दर्शन है जो यह मानता है कि मनुष्य अपने जीवन...